बिना जाने समझे उठा देते हैं हाथ समझना नहीं चाहता कोई उसकी एक भी बात बिना जाने समझे उठा देते हैं हाथ समझना नहीं चाहता कोई उसकी एक भी बात
सम्मान का भूखा,हर एक इंसान है सम्मान का भूखा,हर एक इंसान है
यह दुरूह कार्य कर, कैसे मुस्करायी होगी तुम। यह दुरूह कार्य कर, कैसे मुस्करायी होगी तुम।
साफ़ करो भीतर के दुश्मन ख़त्म करो हैवानों को, पुकार रही है भारतमाता आप सभी संतानों को। साफ़ करो भीतर के दुश्मन ख़त्म करो हैवानों को, पुकार रही है भारतमाता आप सभ...
दरिंदे बने है लेते है जान दरिंदे बने है लेते है जान
उत्पीड़ित मनुष्य हो रहे,कौन बना हैवान। जाति धर्म के दोष की, बात करें शैतान। उत्पीड़ित मनुष्य हो रहे,कौन बना हैवान। जाति धर्म के दोष की, बात करें शैतान।